अक्सर हमसे पूछा जाये,
कैसी दुनिया हम चाहे।
एक ऐसी दुनिया चाहिए...
जहाँ,
ना लोगों का शोर हो,
ना मौन का गौर हो।
हरियाली की साज हो,
झरनों की आवाज हो।
हवाओं की लहर हो,
पंछियों संग सहर हो।
सौन्दर्य का भरमार हो,
ना सादगी से इनकार हो।
ना आधुनिकता सी भागमभाग हो,
ना आदिकाल सा वैराग हो।
मन में भक्ति अपार हो,
शान्ति का भण्डार हो।
ना प्रेम की चाह हो,
ना नफरत की राह हो।
ना किसी तरह का डर हो,
हर ओर अपना सा घर हो।
ना मरने का खौफ़ हो,
ना जीने का शौक़ हो।
ना दिन का सवेरा हो,
ना रात का अँधेरा हो।
ना साथ का फिक्र हो,
ना तन्हा का जिक्र हो।
ना इंसानों से मिलने का बहाना हो,
ना किसी को अपना बनाना हो।
ना रिश्तों की कड़वाहट हो,
बस यूँ ही मुस्कराहट हो।
ना पुण्य का ढिण्ढोरा हो,
ना पाप का कटोरा हो।
सुकून का सवेरा हो,
और प्रभु का बसेरा हो।
है..कोई ऐसा जहां,
तो..जाना है हमें वहां।
wah ....bahut khoob
ReplyDeleteThank
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