हो कुछ ऐसा कि हवा बन जाऊं। हर कोने में पहुंच कर बिखर जाऊं, हर मंदिर-मस्जिद जाकर शीश नवाऊँ। घुल कर पानी संग हर जीव की सांस बन जाऊं। इस सृष्टि के हर प्राणी के रक्त में जात मिटाऊं। रोके जो धर्म की बेड़ियां मेरे पांवों को, तोड़ कर इनको फिर तूफान बन जाऊं। आडम्बरों का चोला पहने जहां को तबाह कर जाऊं, एक नये दिनकर संग खुशनुमा संसार बना जाऊं।