Posts

Showing posts from May, 2018

Beatiful sayari

Image
झूठ कहते हैं लोग की दिल से निकली आवाज़ दिल तक जाती है मगर हमने तो अकसर ऐसी आवाजों को राहों में दम तोड़ते देखा है ।

एक ऐसी दुनिया चाहिए .....

Image
अक्सर हमसे पूछा जाये, कैसी दुनिया हम चाहे। एक ऐसी दुनिया चाहिए... जहाँ, ना लोगों का शोर हो, ना मौन का गौर हो। हरियाली की साज हो, झरनों की आवाज हो। हवाओं की लहर हो, पंछियों संग सहर हो। सौन्दर्य का भरमार हो, ना सादगी से इनकार हो। ना आधुनिकता सी भागमभाग हो, ना आदिकाल सा वैराग हो। मन में भक्ति अपार हो, शान्ति का भण्डार हो। ना प्रेम की चाह हो, ना नफरत की राह हो। ना किसी तरह का डर हो, हर ओर अपना सा घर हो। ना मरने का खौफ़ हो, ना जीने का शौक़ हो। ना दिन का सवेरा हो, ना रात का अँधेरा हो। ना साथ का फिक्र हो, ना तन्हा का जिक्र हो। ना इंसानों से मिलने का बहाना हो, ना किसी को अपना बनाना हो। ना रिश्तों की कड़वाहट हो, बस यूँ ही मुस्कराहट हो। ना पुण्य का ढिण्ढोरा हो, ना पाप का कटोरा हो। सुकून का सवेरा हो, और प्रभु का बसेरा हो। है..कोई ऐसा जहां, तो..जाना है हमें वहां।

बसीरत(दूरदर्शिता)

Image

जिंदगी ...थक गई हूँ मैं।

Image
अब बस भी कर जिंदगी , थम जा..... थक गई हूँ अब... तुझ संग चलते-चलते, थक गई हूँ अब... इन नकली चेहरों के पीछे छिपते -छिपते, थक गई हूँ अब... इन नाम मात्र के बचे रिश्तों को जोड़ते-जोड़ते, थक गई हूँ अब... दुनिया के बनाए इन खोखले नियमों को अपनाते-अपनाते, थक गई हूँ अब... खुद से ही यूँ झुठ बोलते-बोलते, थक गई हूँ अब... दिखावे के लिए ही मुस्काते -मुस्काते, थक गई हूँ अब... बेवजह की इन ख्वाहिशों का बोझ उठाते-उठाते, थक गई हूँ अब... इंसानों के मुताबिक़ ही इंसान बनते-बनते, थक गई हूँ अब... बेमतलब का ये जीवन जीते -जीते, अब बस भी कर जिंदगी, थम जा... थक गई हूँ मैं।